बन ठन के आ गई रे दही वारी ग्वालनिया ll बुंदेली मतवारी ll मुन्ना लाल यादव अनीता ठाकुर ll

Published: 18 September 2021
on channel: Urgent Watch
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गायक - मुन्नालाल यादव अनीता ठाकुर
ढोलक वादक - कैलाश भारती
नगड़िया वादक- शोभा सिंह
आर्गन - प्रहलाद यादव

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Production - Urgent Watch Recording Studio

Copyright - Urgent Watch

UAM No. - MP32D0009821



बुन्देलखंड की विलुप्त होती विधाओं को जीवित रखने और उन्हें बढ़ावा देने एवं नए कलाकारों को एक बेहतर मंच देकर उनकी प्रतिभा को लोगों तक पहुँचाने के लिए अर्जेंट वाॅच रिकाॅर्डिंग स्डूडियो का शुभारंभ हुआ है । हम हमारे ग्रामीण क्षेत्रों के लोककलाकारों की रिकाॅर्डिंग कर हमारे चैनल पर प्रसारित करते हैं इसके अलावा कोई भी कलाकार अपनी वीडियो ऑडियो हमारे चैनल से प्रसारित करवाना चाहें तो करवा सकते हैं।


गीत के लिरिक्स

लेखक - मुन्नालाल यादव

एक समय बृजभान सुता, उठ गेल गहि बंसी वट की
लालई लाल लसे चुनरी, सिर ऊपर गोरस की मटकी
बनवारी अचानक आए गए, कटी फेट बंधी पिय रे पट की
चहूं ओर से ग्वालन घेर लई, सो दही दान के मारग में अटकी

बन ठन खे आ गई रे, दही वारी ग्वालनिया
मोरे मन में समा गई रे, श्याम तोरी मोहनियां
ग्वालनिया भैया, ग्वालनिया भैया रे
बन ठन खे आ गई रे, दही वारी ग्वालनिया
मोरे मन में समा गई रे, श्याम तोरी मोहनियां

कजरारे कारे नैन गोरी मारे, घुंघट में से करत इशारे
मो पे जादू चला गई रे, दही वारी ग्वालनिया
मोरे मन में समा गई रे, श्याम तेरी मोहनियां
हे बनवारी में भोरी - भारी
में भोरी भारी रे में भोरी - भारी
छोड़ दो छलिया गेल हमारी
दिल जान खे आ गई रे, श्याम तोरी मोहनिया
बन ठन खे आ गई रे, दही वारी ग्वालनिया
मोरे मन में समा गई रे, श्याम तोरी मोहनिया

मोहनिया डारी नार नखरे वारी, जान ने देहें आज मुरारी
घरी लुटवे की आ गई रे, दही वारी ग्वालनिया रे
बन ठन खे आ गई रे, दही वारी ग्वालनिया

यादव मुन्नालाल कहत हैं, हरि चरनन मैं ध्यान धरत है
ध्यान धरत हैं ध्यान धरत हैं
सद्गति वो पा गई रे, दही वारी ग्वालनिया
बन ठन खे आ गई रे, दही वारी ग्वालनिया
मोरे मन में समा गई रे, श्याम तोरी मोहनिया